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25 Dec 2019 · 1 min read

हे इंसान

हे इंसान..
तू इस रश का ना कर कभी पान
अब खोलना पड़ेगा तुझको अपने कान
अक्सर सीधे पेड़ जल्दी टूट जाते है
इसकी वजह से अच्छे अच्छे रिश्ते टूट जाते है
जाग में सब साथ सब साथी का रख तू मान
तू धमंड का ही, क्यों करता गुड़ गान
हे इंसान….

हार की या जीत की , रख उम्मीद रीत की
सच की राह को ठान, तू मेरा कहना मान
हे इंसान…..

क्या अमीरी क्या गरीबी , संचित जीवो की जलेबी
ना रख दिल में खुमान, उनका उनको कर दे दान
हे इंसान……..

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