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12 Dec 2019 · 1 min read

पत्ते है हम

इन पत्तों की तरह बेजान बना दिया है
लड़े जो तूफानों सी हवा से
पर उनको अपनो ने ही गिर दिया है ।
बेजान पड़े है वो धारा पर ,
पर क्या पता किसने उनको
कचरा समझकर जला दिया है ।
वो जलते रहे आग से , आह तक नहीं किया है
किसी ने उसे चंदन समझकर माथे पर लगा लिया है ।

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