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12 Nov 2019 · 1 min read

वे दो लड़कियां

चिड़ियों-सी फुदकती, चहकती
स्कूटी पर सवार
जींस पहनकर
जा रही थीं
दो लड़कियां.

देख मेरा मन
प्रमुदित हुआ;

एक वह जमाना था-
जब लड़कियां
इस उम्र में थामी होतीं
मां का पल्लू या
घूंघट निकालकर
ससुराल में सुन रही होतीं
सास की झिड़कियां
ननद के ताने,
पतियों की फटकार.

हालांकि-
उनकी स्वतंत्रता को
डंसने अब भी मौजूद हैं
विषैले विषधर
दरिंदे
समाज के ठेकेदार.

अब भी
स्वस्थ समाज का
अवतरण है दूर
बहुत दूर…बहुत दूर
– 17 जनवरी 2013
शुक्रवार, रात्रि 1.30 बजे

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