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5 Nov 2019 · 1 min read

गीत

रो रहा है
कोई बच्चा
बहलाने के लिए
एक लौरी गीत
लिखते हैं

हारे थके आये
मानसिक तनाव
में हैं वो
उन्हें बहलाने
के लिए
एक गीत
लिखते हैं

चल नहीं सकते
बूढ़े हो गये हैं
माँँ – बाप
सुनता नहीं कोई
परेशान हैं
जिन्दगी से
उन्हें बहलाने
एक गीत
लिखते हैं

भटक रहे युवा
मंजिल पाने को
राह दिखाने
एक गीत
लिखते हैं

बसंती बयार
बह रही
इंतज़ार
कर रही वो
उसका समय
बिताने के लिए
एक
गीत
लिखते हैं

स्वलिखित लेखक
संतोष श्रीवास्तव भोपाल

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