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5 Nov 2019 · 1 min read

रिमझिम रिमझिम है बारिश

रिमझिम रिमझिम है बारिश
टपक रहा बादलों से है पानी
तन बदन में रहे अग्न लगाए
पास नहीं दूर है दिलबर जानी

छोटी छोटी ठंडी गिरती बूंदें
दिल अंदर चुभन सी बैठाएँ
आँखों में नशा सा छा जाए
शराबी पीता मय पिन पानी

जीव जंतु विहग सभी प्यासे
आसमां की ओर थे निहारते
तपन से धरती है झुलस रही
ठंडक पहुँचाता बारिश पानी

तरू पर्ण धूलकणों से मैले
हुए हैं बौछारों से तरोताजा
फल फूलों में भरे नवजीवन
असर यह करे बारिश पानी

बूंद बूंद होती सम हीरा मोती
फसलों हेतु यह जीवन ज्योति
हलधर की चमकेती हैं आँखे
जब बरसता बारिश का पानी

रिमझिम रिमझिम हैं बारिश
टपक रहा बादलों से है पानी
तन बदन में रहे अग्न लगाए
पास नहीं दूर है दिलबर जानी

सुखविंद्र सिंह मनसीरत

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