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22 Oct 2019 · 1 min read

आँसुओं को भी हँसाया कीजिये

आँसुओं को भी हँसाया कीजिये
रोते रोते मुस्कुराया कीजिये

क्रोध को अपने दबाया कीजिये
होश अपने मत गँवाया कीजिये

साथ अपनों का बड़ा वरदान है
हो सके जितना निभाया कीजिये

पहलुओं पर ख़ुद भी डालें इक नज़र
बातों में ही यूँ न आया कीजिये

गम बहाना भी जरूरी है बहुत
बह कभी आंखों से जाया कीजिये

धड़कनें ही डूबने अपनी लगें
खुद को यूँ मत आजमाया कीजिये

ज़िन्दगी ही अपनी ये त्यौहार है
सोचकर हर दिन मनाया कीजिये

‘अर्चना’ शब्दों में सब खो जाएंगे
आप गज़लें गुनगुनाया कीजिये

22-10-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

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