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7 Oct 2019 · 1 min read

मुक्तक

१.
अच्छा है दिल को भी कभी कभी खून के आंसू रोने दो
अपनी आवारगी पे इसे भी तो पशेमाँ कभी जरा होने दो !
… सिद्धार्थ
२.
मेरे इंतजार को तू मेरा शौक़-ए-जुनू तो न बोल
बोलना है तो खुश्बू की चाहत में भवरा मुझे बोल।

तू हंसता है मुझ पे तो कोई बात नही तू हंसता ही रहे
मगर दिल का दरवाज़ा किसी महबूब के लिए तो खोल।
…सिद्धार्थ
३.
हम भी अजब हैं बंद दरवाज़े पर जाकर
कभी दस्तक़ तो कभी आवाज़ देते हैं
…सिद्धार्थ

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