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3 Oct 2019 · 1 min read

मुक्तक

यहाँ पर नीति पर चलना लगे भारी अनीति है।

जहां दुष्कर्म पर लगती टिकी सब राजनीति है।

बताओ पाप यह फलता जमाने में सुना है’कब।

मगर बनती यहां सब पाप पोषक ही’ नीति है।

कलम घिसाई

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