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27 Sep 2019 · 1 min read

..........मिलेगी

हँसी जब तुम्हारी अदा की मिलेगी।
अजी जान अपनी तो जाती मिलेगी।00

ख़ुदा हुस्न से गर किसी को नवाज़े।
मुहब्बत सही में बिचारी मिलेगी।01

दबाकर लबो को न हँसना सनम तुम।
ख़ुदा की कसम साँस जमती मिलेगी।02

गिराकर के पल्लू ,तिरा मुस्कुराना।
मिसालें कहाँ कत्ल वाली मिलेगी। 03

वहां पार्क में बैठते थे जो छुपकर।
कभी देखना घाँस गीली मिलेगी। 04

अभी याद से आंख गीली है मेरी।
गई याद तो फिर ये सूखी मिलेगी।05

बुढ़ापे ने आकर जकड़ तो लिया है ।
मगर पास बैठो जवानी मिलेगी। 06

सहेली तुम्हारी शरारत है करती।
कहीं ‘मधु’सी जीजू क्या साली मिलेगी। 07

कलम घिसाई

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