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30 Aug 2019 · 1 min read

आँखें

विषय – नयन / आँखें
विधा – गीत !

वृहद स्वप्न ले उड़ती पाँखे !
देखी है मैंने वे आँखें !!

संमोहन जादू से लज्जित !
निखरे नित नीरज हो विकसित !
अनुराग भरी नेह पल्लवित !
डूबा जग मधुप भीर अतुलित !

काजल रेख रसायन चाखे !
देखी है मैंने वे आँखें !!

इनमें न रंज का चिन्ह शेष !
हर्ष लिप्त चंचल सलिल लेश!
प्रवर नेह चित चाहे प्रवेश !
सौरभ का नव मधुर संदेश !

नैन नशीली भीगी पाँखे !
देखी है मैंने वे आँखें !!

नही अनजान सबकुछ जाना !
मनहर चितवन को पहचाना !
पावन कोमल पंकज माना !
देह त्याग चेतन लय पाना !

सोच जरा मन टूटी पाँखे
देखी है मैंने वे आँखें !!

डाँ छगन लाल गर्ग विज्ञ!

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