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29 Aug 2019 · 1 min read

मैं नही

जो दिल में रहता है मेरा

उसके दिल में मैं नही।

मैं तो फकीरी में ही थी

बस मेरी झोली में वो नही।

उसके हरअसरार में मैं हूँ

बस उसके इसरार में मैं नही।

मैं बस मुझ में ही हूँ पुर्दिल

तुझ में तो कहीं भी मैं नही।

जीतने की धुन नही है मुझ में

बस तुम्हें हारने में मैं कहीं नही।

चलते रहने का हौसला तो है

थक के बैठने के हक में मैं नही !

…सिद्धार्थ

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