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2 Jun 2019 · 2 min read

सूरत अग्नि कांड

सूरत में हुए अग्नि कांड से रोंगटे खड़े हो जाते है। आंखों में अश्रु भर आते हैं। कानो में मासूमों के चिखने की आवाज गुंज उठती है। आत्मा कल्पित हो जाती है। आंखों के सामने वह दृश्य छा जाता है। यह दुर्घटना हमें हमेशा-हमेशा के लिए दर्द दे गई है। इस हादसे में मरने वाले बच्चों का आँकड़ा 22 तक पहुंच चुका है। घरवालों ने जब आपने बच्चों को कोचिंग के लिए विदा किया तो वह यह नहीं जानते थे कि वह उन्हें हमेशा के लिए विदा कर रहे हैं। खुशी खुशी होनहार बेटे-बेटियां सुलगती इमारत में पढ़ने पहुंचे थे। लेकिन आग ने ऐसी तबाही मचाई कि सब कुछ खाक हो गया। सपने टूट गए। अरमां आंखों के सामने खाक हो गए।बाद में जब कुछ लोग इमारत के अंदर गए तो उन्होंने एक दर्दनाक दृश्य देखा। सामने कुछ बच्चे गोल घेरा बनाकर एक-दूसरे को गले लगाए मौत को स्वीकार कर चुके थे। बैंगन के भरते जैसे उनके शरीर का हाल था। जब उनके शव को अलग किया गया तो हड्डियां भी राख हो चुकी थी।सभी बच्चे बहुत देर तक सुरक्षा कर्मियों का इंतजार किए। परंतु जब दमकल कर्मी आए तो बिना किसी व्यवस्था के आए। उनके पास ना नेट था, ना सीढ़ी थी और न ही आग बुझाने का कोई साधन। अब सभी बच्चों के पास कोई रास्ता नहीं था सिवाय कूदने के। एक-एक करके वे सभी कूदने लगे। दो व्यक्तियों ने उनको बचाने की कोशिश की। कुछ बच गए कुछ की मृत्यू हो गई।पब्लिक तो बस तमाशा देख रही थी। वीडियो बना रही थी। दमकलकर्मचारी बिना किसी व्यवस्था के क्या करने आए थे? क्या वह भी पब्लिक की तरह तमाशा देखने आए थे? हम आज किस समाज में जी रहे हैं। लोग केवल वीडियो बनाने में लगे रहते हैं। मदद के लिए आगे नहीं बढ़ते हैं। यदि सभी लोगों ने मिलकर मदद की होती तो शायद वह सभी बच्चे बच चुके होते।हम बच्चे भी कोचिंग जाते हैं। वहाँ भी कोई सुविधा नहीं होती है। सरकार ने केवल सूरत में कुछ जगहों पर नाकाबंदी की है। पर पूरे देश में सभी बच्चे बिना सुरक्षा के साधन के जाते हैं। यदि सरकार ने पहले कुछ किया होता तो आज उस मां की गोद सुनी ना होती। उस पिता के जीने का आखिरी सहारा ना खोता। मात्तम की जगह आंगन में किलकारियां गूंज रही होती। परंतु सरकार तो तभी कदम उठाती है जब किसी क्षेत्र में दुर्घटना घटती है। उससे पहले आंखों पर पट्टी बांधे बैठी रहती है। आज अगर साधन होता तो वह मुस्कुराते चेहरे बरकरार रहते।आज भी हम बच्चे हंसते-खेलते पढ़ने जाते हैं। हमारे साथ भी कभी ऐसी दर्दनाक घटना घट सकती है। इसलिए सरकार को पहले ही कदम उठाना चाहिए। ताकि इस देश का हर बच्चा सुरक्षित रहे। अब सवाल यह है कि इस घटना का जिम्मेदार कौन है? सरकार पब्लिक या दमकल कर्मचारी?

मृत मासूमों को मेरी अश्रुपूर्ण श्रद्धांजलि। ?
-वेधा सिंह

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