----असहनीय पीड़ा---
—-असहनीय पीड़ा—
भले हाथ ने छोड़ दिया है मेरा साथ ,
पर हौसला देगा हर कदम मेरा साथ ,
दर्द ने तोड़ा है तन और मन को कई बार,
पर मन में सदा ही जलता रहेगा अंगार।
हर धड़कन कहती है हारना नहीं,
टूटकर भी रुकना और थमना नहीं।
सपनों को अधूरा क्यों रहने दूँ मैं,
जिंदगी को यूँ ही क्यों सहने दूँ मैं।
कलम को बनाऊगीं मैं अपनी हथियार,,
शब्दों से सजाऊगी मैं अपनी हसरत।
समाज उठाए चाहे जितने भी सवाल ,
मैं दूगीं अपने कलम से जवाब
मेरा दर्द के संग भी मुस्कुराना सिखूगीं।
ये पीड़ा को अपनी पहचान बनाऊगीं।
और अपने साहस को अपनी उड़ान बनाऊंगी।
मैं अपनी जिंदगी को किसी की मोहताज नही बनाऊंगी
#असहनीय पीड़ा#आप बीती @followers #written by Rubi chetan shukla