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10 May 2019 · 1 min read

मैं तुम्हारी प्रिये, मेरे प्रधान चौकीदार हो तुम !

मेरे ख्वाबो के समन्दर के सरताज हो तुम,
मेरे सारे पिन कोड का राज हो तुम |

जब देखती हूं खुद को आइने में ,
मेरी खूबसूरती का ताज हो तुम |

मेरे हर गम का इलाज़ हो तुम ,
हर पल हर घड़ी का साज हो तुम |

मेरे बिखरे ,उलझे बालो का प्यार हो तुम ,
मेरी नशीली आँखो का जाम हो तुम |

मेरे सीने का धड्कता मह्ताब हो तुम ,
हर साँसों की सुगंध का गुलाब हो तुम |

मेरे होंठों मे सिमटती हंसी का गुबार हो तुम ,
मेरी ली हुयी सांन्सो का हिसाब हो तुम |

तुम ही तुम मुझमे मेरा हर किरदार हो तुम ,
मैं तुम्हारी प्रिय तुम ही मेरे चौकीदार हो |

युक्ति वार्ष्णेय “सरला”
मुरादाबाद

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