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13 Apr 2019 · 1 min read

मन बावरा

मन बावरा है जाए कहां
राहे जुदा है मंजिल खफा
मन बावरा है जाए कहां

रातों को नींद ना आए
दिन क्यों डसता जाए
हाय क्या करूं जो चैन तो आए
हाय क्या करूं जो चैन तो आए

रैना हर पल मुझको रुलाए
मन बावरा है जाए कहां
मन बावरा है जाए कहां

सोचू जब मैं अगले कदम को
रास्ते बंद क्यों हो जाए
कोई तो बताए कोई समझाए
हाय क्या करूं जो चैन तो आए
हाय क्या करें जो चैन तो आए

खिड़की पर बैठी जब देखू बाहर सब धूधला है
राज न कोई साज न कोई
अब तो सब उलझा है

दे दे किरण तू या उम्मीद भी ले ले
समय तो तुझ पर ही टिका है
मन बावरा है मन बावरा है।।

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