Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
15 Feb 2019 · 1 min read

शहादत

खून बहता रहा वतन के नाम पे
एक माँ भी बैठी रही अपने बेटे की राह में
मासूम के सर से साया गया
दुल्हन का सिंदूर और बहन की राखी गयी
किसी भाई की बाजू गयी
बदला तो मिल जाएगा
पर क्या जाने वाला भी
कभी लौट कर आयेगा
और खून बहता रहा वतन की राह में ।

शहादत का मोल क्या है किसी के हिसाब में
मैं पूछ सकता हु किसी भरतीय से
कब तक मिटेगा सिपाही वतन की राह में
एक हुंकार होनी चाहिए
एक इनकार होना चाहिये
बस एक बात याद रखना
बस कोई भाई अब शहीद नही होना चाहिए
कलम नग़मे लिखती रही हमेशा
पर कांपती है वो कलम जिसमे
जिसमे शहीद लिखना चाहिए
सच तो ये है शहादत को ही
वास्तव में सम्मान चाहिए
वतन को मजहब को
छोड़कर
सिर्फ एक मजहब
भारतीय होना चाहिए
मुझको शहीदों की
शहादत का हिसाब चाहिए।

ये कोई पहली दफा नहीं है
ये कोई वफ़ा नही है
शेरों के हाँथ पाँव बांध देते हैं
उसकी हुंकार को भी घोट देते है
आत्म रक्षा में भी सवाल खड़े करते है
फिर कहीं से कुछ भेड़ियों
का झुंड आता है
पीठ पीछे से शेर पर वार करता है
कुछ लोग इसकी निंदा करते है
वतन की राह पर ये कहानी
हर बार दिखती है
अब हमें ये बदलाव चाहिये
मुझको शहीदों की
शाहदत का हिसाब चाहिए।
शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि।
जय हिंद।

Loading...