मुक्तक
तुझे दिल याद करता है तो नग़्मे गुनगुनाती हूँ,
जुदाई के पलों की मुश्किलों को यूं ही घटाती हूँ
घटायें, धूप, बारिश, फूल, तितली, चांदनी में
तुम्हारा अक्स इनमें ही मैं अक्सर देख पाती हूँ
तुझे दिल याद करता है तो नग़्मे गुनगुनाती हूँ,
जुदाई के पलों की मुश्किलों को यूं ही घटाती हूँ
घटायें, धूप, बारिश, फूल, तितली, चांदनी में
तुम्हारा अक्स इनमें ही मैं अक्सर देख पाती हूँ