मुक्तक
“जताने की ज़रूरत क्या,नज़ारे बोल देते हैं,
हाले दिल तो आँखों के इशारे बोल देते हैं,
इस दहलीज़ पर आने से पहले ही तेरे साजन
खुशी से खिडकीयां और गलियारे बोल देते हैं “
“जताने की ज़रूरत क्या,नज़ारे बोल देते हैं,
हाले दिल तो आँखों के इशारे बोल देते हैं,
इस दहलीज़ पर आने से पहले ही तेरे साजन
खुशी से खिडकीयां और गलियारे बोल देते हैं “