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5 Feb 2019 · 1 min read

शहीद

शीर्षक – शहीद

माँ सिसक रही बाप बिलख रहा,
पत्नी बेसुध पड़ी रही।
जब आया संदेशा रण से,
ऑसुओ की धार बही।

पूरा गाँव मातम पसरा,
जब संदेशा मिल पड़ा उन्हें।
गाँव का लाड़डा किसान का बेटा,
शहीद हुआ चक्रव्यूही रण में।

आज गाँव में एक अजीब,
ऐसी घडी आयीं है।
सीना चौड़ा है लेकिन,
आँखों में आंसू छायी है।

नेता आये मंत्री आये,
फौजी पुलिस संत्री आये।
आया ताबूत तिरंगा लिपटा,
जिसमे माँ का सपूत सिमटा।

निकाला गया शहीद का शव,
मिली तिरंगे की कफ़न उसे।
नेता मंत्री जवान किसान,
देते पुष्पांजली करते प्रणाम।

जब आयी माँ सामने,
कहर टूट पड़ा मन में।
पत्नी लिपट कराह रही,
बाप सिसकता खड़ा वही।

अब बारी आई जवानो की,
दी सलामी गोलियो की।
लिटाया गया चिता पर उसको,
ढाढस बंधाये कौन किसको।

सबकी आँखों से धार बह रही,
चिता की लपटे यही कह रही।
मरा नहीं हूँ मै अमर हूँ,
भारत माँ का पूत शहीद हूँ।

आज मैंने अपना कर्ज चुकाया,
माँ के दूध को नहीं लजाया।
जन्म अगर दुबारा लूंगा,
भारत माँ के लिए लड़ूंगा।

सौ सौ बार कर प्राण न्यौछावर,
भारत भूमि को स्वर्ग बनाकर।
एक नहीं सौ बार लड़ूंगा,
भारत माँ का दर्द हरूँगा।।

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