मुक्तक
यूँ मौत के हाथों में अपनी ज़िंदगी को बेच मत,
मन के बहकावे में तन की सादग़ी को बेच मत,
खुद को खोकर बस अँधेरा ही अँधेरा पाएगा
मज़बूर होकर तीरगी से रौशनी को बेच मत “
यूँ मौत के हाथों में अपनी ज़िंदगी को बेच मत,
मन के बहकावे में तन की सादग़ी को बेच मत,
खुद को खोकर बस अँधेरा ही अँधेरा पाएगा
मज़बूर होकर तीरगी से रौशनी को बेच मत “