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30 Jan 2019 · 1 min read

ऊंच नीच

“ऊंच-नीच”

ऊंच-नीच और
अमीरी-गरीबी से
हो जा मनुज
उन्मुक्त तू
जीवन जीओ
सरल और शुद्ध
प्रेम प्यार से
रहकर सबसे
नफरत की
दीवार तोड़ तू
मजहब और धर्म
को छोड़
इंसान का ले
अवतार बस तू
सब खतरों से
बड़ा है खतरा
जातिवाद का
इस पावन धरा पर
इस खतरे के
जहर को बस
एक बार मिटा दे तू
ऊंच नीच का
भेद न माने
वही श्रेष्ठ मनुष्य है
दया धर्म का
भाव हो जिसमें
वही प्राणी पूज्य है

मौलिक
एम के कागदाना
फतेहाबाद,हरियाणा

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