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25 Jan 2019 · 1 min read

टूटती चाहत

जब बादल वर्षा कर न सके
तो ओस बन गिर जाता है,
प्यासे पौधे को जब तृप्त कर न सके
तो उसका कंठ भिंगोता है।
जब बादल….

उमड़ घुमड़ के बादल पौधों को स्वप्न दिखाए
कहे कभी न सुखने दूँगा
जड़ों में तुम्हारे पानी भर दूँगा,
लहलहाए तू धरती पर
भूमि पर हरियाली आए,
गरज गरज कर यह कह जाता है।
जब बादल…

कभी काला कभी भूरा , कभी
उजला रंग बनाके,
लालिमा दे जाए कभी
मन को हर्षा के,
समय हवा जब चले
सारा रंग बिखर जाता है।
जब बादल…

समय शक्ति पहचान कर
ना तू अपने पर गुमान कर,
गुमान कभी टिकता नही
अपमान कोई सहता नही,
बादल तू है क्षणभंगुर
पल भर मे हट जाओगे ,
बस अनन्त आकाश रह जाता है।
जब बादल…

साहिल की कलम से.?

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