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23 Jan 2019 · 1 min read

जैसे गज़ल

मैं समझा दूँ एक अकसना जैसे ग़ज़ल
अश्क गिरते हैं जैसे झरना जैसे ग़ज़ल।

ख्वाब तो ख्वाब में ही‌ टूट जाते हैं
टूटे मोती का हिरा बनना जैसे ग़ज़ल।

उड़ान तो परिंदे कई भरते हैं
गिरकर‌ फिर उड़ान भरना जैसे ग़ज़ल।

फूरसत की मोहब्बत लफ्जों का प्यार
शब्दो का इश्क़ पन्नो पर उतरना जैसे ग़ज़ल।

‘राव’ बिती रैना को यूं कहना जैसे ग़ज़ल
बिती रैना से बनी सोभना जैसे ग़ज़ल।

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