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22 Jan 2019 · 1 min read

श्री

गणेश वंदन

हे ज्ञानसिन्धु, हे भालचंद्र, हे बुद्धिनाथ मंगलकारी ।
हे नादप्रतिष्ठित, मृत्युंजय, हे पीतांबर, हे उपकारी।।
हे शोकविनाशक, धूम्रवर्ण, हे लंबकर्ण, मूषकवाहन,
शत शत वंदन मेरा तुझको तू मातु-पिता आज्ञाकारी।।

हे लम्बोदर, हे द्वैमातुर, शिव के माथे का चंदन है।
हे एकदंत, तू दयावान, तू महाकाल का नंदन है।।
हे प्रथमपूज्य हे मोदकप्रिय, हे वक्रतुण्ड है विघ्नेश्वर,
मगन करो सारे जग को अभिनन्दन सौ-सौ वंदन है।।

नरेन्द्र ‘मगन’ , कासगंज
9411999468

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