Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
22 Jan 2019 · 1 min read

" कह दो जो कहना है " !!

गीतिका

तुम मेरे हो मेरे बनकर , दिल में ही रहना है !
मुझे स्वीकृति दे दो चाहे , जग से ना कहना है !!

नई कहानी रोज़ लबों पर , पास हमें लाती है !
औ विरोध के स्वर न उपजे , हवा संग बहना है !!

इन्तज़ार पल पल रहता है , समय हमें है बांधे !
पल भर का ही साथ भले हो , कह दो जो कहना है !!

कैद करी जो मुस्कानें है , उन्हें खुला तो छोड़ो !
अहंकार है कभी तुम्हारा , हमें लगे गहना है !!

पलकें झपकाकर अँखियों से , जाने क्या कह डाला !
कहर अगर बरपाया है तो , हमें उसे सहना है !!

मौन तुम्हारा सदा खले है , भेद ह्रदय के खोलो !
महल रेत के खड़े किये तो , उनको तो ढहना है !!

छवि अनुपम है मन को भाये , चलो न यों बल खाकर !
दूर हुए आंखों से जब भी , चाहत को पलना है !!

स्वरचित / रचियता
बृज व्यास
फरीदाबाद

Loading...