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22 Jan 2019 · 1 min read

आओ लेनिन इस बार हमारे घर आंगन में आओ !

लेनिन तुम्हारे ‘जन्मदिवस’ पर,
तुम से ही, तुम्हारा उपहार मांगती हूँ,
कि आओ हमारे घर आंगन में आओ
दरवाज़े दलानों में आओ
आके फूंक दो क्रांति का बिगुल,
हमारी जड़ पर चुकी चेतना को
झंझोड़ के जगाओ एक नया अलख जलाओ,
आओ लेनिन पाश-भगत को संग लेके आओ
और,आ के कहो मेरे देश के गरीब मजदूरों से
“मैं पसंदा हूँ, समय चक्र से बिद्रोह करने बाला ”
कह के उनको सुसुप्ता से जाग्रत अवस्था में लाओ
आओ लेनिन हमारे घर-आंगन में आओ
फासिबाद के सर पे मजदूर का हथोड़ा पड़ना जरूरी है
और मज़्लूमों-मजदूरों को जगाने के लिए
तुम्हारा फिर से लौटना बेहद जरूरी है
पूंजीपतियों के परजीवी शासन को खत्म करने के लिए
हमारे उज्वल भविष्य के लिए जरूरी है,
कि तुम आओ,आओ लेनिन
इस बार हमारे घर आंगन में आओ
आओ लेनिन हमारे घर-आंगन में आओ

***
21-01-2019
(सिद्धार्थ)

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