मुक्तक
हर बाग़ में खुश्बु -ए- बहार है हिन्दी,
कबीर, सूर, तुलसी का प्यार है हिन्दी ,
सदा ही जोडती है हम सभी को इक दूजे से,
हज़ारों मील समन्दर के भी पार है हिन्दी
हर बाग़ में खुश्बु -ए- बहार है हिन्दी,
कबीर, सूर, तुलसी का प्यार है हिन्दी ,
सदा ही जोडती है हम सभी को इक दूजे से,
हज़ारों मील समन्दर के भी पार है हिन्दी