मुक्तक
” तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं
सनम की याद में हर-दम ख़ुदा को याद करते हैं
उन्हीं के इश्क़ में जिन्दा हैं बस उम्मीद है बाकी
इलाही देखिये किस दिन हमें वो याद करते हैं “
” तड़पते हैं न रोते हैं न हम फ़रियाद करते हैं
सनम की याद में हर-दम ख़ुदा को याद करते हैं
उन्हीं के इश्क़ में जिन्दा हैं बस उम्मीद है बाकी
इलाही देखिये किस दिन हमें वो याद करते हैं “