Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
6 Dec 2018 · 1 min read

ईनाम

सब कुछ सहना है मगर तुम्हें अपना नाम नहीं लेना है,
आदमी तभी हो तुम जब तुम्हें कोई ईनाम नहीं लेना है,

रखना है रोककर तुम्हें अपने आँखों के आसुओं को बेशक,
अपनी मेहनत का मगर कभी तुम्हें कोई दाम नहीं लेना है,

जोड़कर हाथों को हर मुराद पूरी ही करनी होगी,
सुन लो मगर तुम्हें अपनी ज़ुबाँ से कोई काम नहीं लेना है,

रहना है रिश्तों के हर बन्धन में बंधकर ही ‘राही’ तुमको,
सब छोड़ो मगर होटों पर अब तुम्हें कोई जाम नहीं लेना है।।

राही अंजाना

Loading...