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27 Nov 2018 · 1 min read

मां

मां
मां ममता की मूरत है
हम सबकी एक जरूरत है।
बिन मां के घर सूना होता
मां एक शुभ मुहुर्त है।

जन्म दिया, खुद दर्द सहा
ममता का आंचल मुझ पर डाला।
मेरे रोने पर सिहर उठती थी
झट सीने से मुझे लगाया था।

मेरे मन की हर बात जानती
उंगली पकड़ चलना सिखाया ।
दादा-दादी, नाना-नानी सब मां
तुमने ही बचपन में बुलवाया।

सबसे पहले उठ जाती थी तुम
मुझको कभी नही जगाया था।
दिनभर घर के काम में उलझी
मुझ पर भी रखती अपना साया।

तेरे दूध का कर्ज कैसे चुकाउंगा मां
तुमने तो अपना सारा फर्ज निभाया ।
न्यौछावर है तुझ पर मेरा यह जीवन
जो तुमने हीरे-सा चमकाया है।

– Vinod वर्मा दुर्गेश’
तोशाम जिला भिवानी

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