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10 Nov 2018 · 2 min read

ये नया साल......

ये नया साल क्या असलियत में नया हैं
या नम्बर ही बदले, छला बस गया हैं।
ये नया साल क्या असलियत में नया हैं।

क्या अब ना मरेंगी यूं गर्भ में बेटी,
क्या हैवानों की गन्दी नीयत है चेती।
या फिर से नया ढोंग रचा सा गया हैं।
ये नया साल क्या असलियत में नया हैं।

जलती है अब भी बहु आज घर में,
लटक जाती फंदे से जीवन भंवर में,
क्या आशा किरण को भी पाया गया है,
या फिर से नया दाँव लाया गया हैं,
ये नया साल क्या असलियत में नया है।

क्या बच्चे ना रोयेंगे अब भूख से वो,
जिनका निवाला हड़प लेते है वो,
वो माओं के सीने से लिपटे ही रोएँ,
या फिर भूख को ही दबाया गया है।
ये नया साल क्या असलियत में नया है।

क्या नेता बनेंगे कभी रॉल मॉडल,
या फिरसे करेंगे खजानो में टोटल,
मेरे हिन्द का नाम जिसने डुबोया,
क्या ईमान उसका जगाया गया हैं।
ये नया साल क्या असलियत में नया है।

गर नया साल है तो मेरी इल्तज़ा हैं,
सब कुछ नया हो यही बस दुआ है,
मेरे देश को फिर से ऊँचा उठाना।
विश्वगुरु का हैं वादा निभाना।
तभी तो लगेगा , नया साल है ये,
नए राष्ट्र का नया पैगाम है ये,
ना सहना पड़े अब ये आतंक साया,
इसी में तो हमने है सबको गंवाया।
हुआ ना अगर ये तो कुछ ना हुआ है,
ये नम्बर ही बदले छला बस गया हैं।
ये नया साल क्या असलियत में नया हैं।
या नम्बर ही बदले छला बस गया है।

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