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4 Nov 2018 · 1 min read

हमें आपका

हमें दिल आपका छलना क्यूँ नहीं आया
नमक घावों छिड़कना क्यूँ नही आया

खिले जब जिन्दगी तेरी उन गुलाबों सी
कंटक के बीच खिलना क्यूँ नही आया

धरोहर वो समझते है हमें अपनी
मगर हक को जताना क्यूँ नही आया

बहस मी टू छिड़ी है जब जहाँ मेरे
विरोधों को जताना क्यूँ नहु आया

दिखा जब अक्श तेरा आयना बन मुझको
तुझे तब रूह बसना क्यूँ नही आया

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