Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
Comments (14)

You must be logged in to post comments.

Login Create Account

कल्पना सुंदर की है चाँद पर झूले की….

1 Oct 2021 04:54 AM

हार्दिक आभार आपका आदरणीया

चाँद पर भी झूला और धरती पर भी।
मेरा लेख’शिवजी:सावन और लौकिक रूप’ भी पढिये।

30 Sep 2021 08:46 PM

धन्यवाद ।अवश्य ही पढूँगा।

29 Sep 2021 10:15 PM

बहुत बढ़िया

29 Sep 2021 10:32 PM

धन्यवाद

29 Sep 2021 09:34 PM

आभार आपका ?

वैज्ञानिक जिज्ञासा को सामाजिक रूप से अपरिहार्य कर दिया।
कल्पनाओं की अच्छी उड़ान है..

प्रणाम

29 Sep 2021 08:54 AM

हार्दिक आभार आपका प्रशांत जी,
उत्साहवर्धन करने के लिए,

29 Sep 2021 08:20 AM

बहुत सुंदर, ??पर धरती माता नाराज़ हो जाएगी ! क्योंकि झूला डालने के लिए अभी भी धरती पर अनेकानेक “स्वर्ग” स्वरूप स्थल विद्यमान हैं !

29 Sep 2021 08:53 AM

हार्दिक आभार आपका, प्रेम अभिव्यक्ति के बदलते स्वरूप पर ये रचना की गई है, मेरा मकसद है प्रेम के वास्तविक स्वरूप पर लोगों का ध्यान आकृष्ट कराऊँ,
माता धरती तो सदा ही वंदनीय रहेगी, बस हमें अपने आचरण को आलौकिक प्रेम की दिशा में अग्रसर करना है।

सुंदर अभिव्यक्ति

29 Sep 2021 08:47 AM

धन्यवाद

Loading...