सर ये दोनों दल बेजेपी और टीएमसी ध्रुवीकरण की राजनीति करते है। इसलिए यह कहा ही नही जा सकता कि बंगाल में जो आगजनी हो रही है उसके पीछे कौन है..??
क्योकि राजनीतिक दल को कोई फर्क नही पड़ता कि उनका समर्थक मर जाए, बल्कि उनको फायदा हो जाता है समर्थक की मृत्यु को भावनात्मक राजनीति से जोड़ देते है। और इसके हजारों उदाहरण है ।
इसलिए मैं आपकी कविता का समर्थन नही करता , हाँ अगर आप इसे राजनीतिक होकर ना लिखते और आम आदमी का राजनीतिक दुरुपयोग लिखते तो ज्यादा अच्छा लगता।
क्योकि दूसरी तरफ़ ममता बनर्जी बोल रही है कि वे सब बीजेपी करबा रही है। क्या सही क्या गलत कुछ नही पता।
एक लेखक को केबल इतना पता है कि आम आदमी राजनीति की भेंट चड रहा है ।
बिना किसी दल की तरफ झुकाव के लेखक को भावनात्मक होकर लिखना होगा।
माफ करना ।
प्रणाम
आप सही कह रहे हैं, मैं भी नहीं कहता कि बीजेपी ऐसा नहीं करती, बंगाल के संदर्भ में ये विदित है कि पहले वामपंथी हिंसा करते रहे, और अब बही संस्कृति तृणमूल कांग्रेस अपना रही है,। पिछले २-३ बर्षो में कार्य वंश मैंने बंगाल को थोड़ा बहुत जो अपने दृष्टिकोण से जाना हो लिख दिया। मैं किसी दल से ताल्लुक नहीं रखता।मैं आपकी बात को ध्यान रखूंगा। आपके स्पष्ट विचारों को बहुत-बहुत धन्यवाद। आपको सादर नमस्कार सर।
बहुत सुंदर
आपको सादर अभिवादन धन्यवाद सर
आतंक एवं दमन की राजनीति के कटु यथार्थ की संदेशपूर्ण प्रस्तुति !
धन्यवाद !
आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर
प्रेरक संदेश बहुत सुंदर प्रस्तुति धन्यवाद आपका जी सर जी नमस्कार
आपको सादर नमस्कार धन्यवाद सर
यह खेल राजनैतिक फायदा उठाने के लिए होना शुरू हो चुका है, अब रोके नहीं रुकेगा, क्योंकि कभी एक दल वाले मारे जाएंगे तो कभी दूसरे दल वाले और अपनी अपनी बार वो चिल्लाए जाएंगे हमारे साथ खेला हो गया! और ऐसे ही चार पांच साल बीत जाएंगे, जीताया क्यों था वो भूल जाएंगे और फिर वही हिन्दू मुस्लिम, वही जात पात, वही क्षेत्र वाद के साथ वह तमाशा बना कर जीत जाएंगे! सादर प्रणाम
सही बात है, राजनीति में नैतिकता नहीं है। आपको सादर प्रणाम धन्यवाद सर