बहुत खूब सर हमारी कविता को भी अपना मत दे।
अतिसुंदर रचना आदरणीया मैने आपको वोट कर दिया है कृपया वोट कर दीजिए धन्यवाद
सरकार इतना शर्मिंदा ना करो ,हमने आपकी कविता को लोकतान्त्रिक प्रणाली से मिले अधिकार के अनुरूप वोट कर चुके हैं । आप लोग बगैर सारणी देखे दूसरे पर आक्षेप लगा देते है शायद यही एक कारण हो सकता है कि भारतीय संविधान में गुप्त मतदान की व्यवस्था की अन्यथा आप से चंचल स्वाभाव के नागरिक अब तक भारत की जनसंख्या आधी कर चुके होते ।
कृपया मेरी रचना का भी अवलोकन करें और अपना बहुमूल्य वोट देने की कृपा करे
आपने तो दिया नही….
श्री प्रशांत सोलंकी जी
कृपया आप मेरी रचना का अवलोकन कर वोट देने की कृपा करें आपका वोट मिलने पर मैं तुरंत आपको वोट दे दूंगा
जब आपको मुझ पर विस्वास नही तो मैं आप पर कैसे विस्वास करूँ…
मेरी प्रस्तुति को वोट करने का हार्दिक आभार !
सही कहा ।
मेरे विचारो पर आप की सहमति का स्वागत है !
धन्यवाद !
Absolutely heartfelt. It is just perfect reflection of disaster on life of innocent human being during Corona pandemic. Perfect irony it portrays.
महोदय कृपया मेरी पोस्ट पे भी वोट करें
आपकी रचना बहुत ही प्रशंसा के काबिल है ! मेरा वोट स्वीकार करे . कृपया अपना मूल्यवान वक़्त दे कर मेरी रचना ” सुन कोरोना ” के प्रति प्रतिक्रिया दे . आपका बहुत बहुत आभार होगा .
U hv not voted madam but I hv voted ur poem..
Thik likha
धन्यवाद जी , सुगन्ध महोदय
बहुत सुंदर सर मैंने वोट कर दिया है।
शुक्रिया सर , मेरी बेशर्मी के लिए मुझे माफ़ करना कि मैं आपसे वोट मांग रहा हूँ जबकि ये आपकी स्वतंत्रता थी ।
प्रशांत जी नमन!कोरो ना त्रासदी आपकी रचना पड़ी बड़ा मार्मिक दृश्य आपने उभारा !!धन्यवाद।
मेरी रचना ** नाम मिला जिसे कोरो ना **
प्रतियोगिता में है,अवलोकन करें जैसा उचित लगे प्रतिक्रिया दे !!
भाई प्रशांत सोलंकी जी अच्छी और दमदार रचना के लिए वोट माँगना कोई गुनाह नहीं है। दुःख तो तब होता है जब रचनाओं का चयन महज़ वोट और उनपर दिए कमैंट्स और लाइक से होता है। आधे से ज़ियादा कवि ऐसे हैं जिन्हें छन्द का ज्ञान भी नहीं है और न ही उन्होंने छन्दमुक्त के महान कवियों को पढ़ा है। कभी फ़ुरसत मिले तो ‘पाश’, ‘अदम गोण्डवी’, ‘दुष्यन्त’, व ग़ालिब को गहराई से पढ़ना। तब जाकर हम कुछ कुछ कविता, ग़ज़ल को समझे हैं। एक विचार था जो व्यक्त किया कृपया अन्यथा न लें। धन्यवाद।
मैं आपका शुक्रिया करता हूँ , उत्तरांचलजी ।
मुझे तो लगा था कि आपकी तरफ से गालियों के राफेल आएँगे और मुझे जिहादी बनादेंगे ।
पर आपने तो कबूतर की चोंच में अद्भुद कवि रचना ही भेज दी ।
बहुत बहुत धन्यवाद सर ।
एक ने कही दूजे ने मानी। नानक कहे दोनों ज्ञानी।।
पाश की एक छोटी कविता और आपके लिए:—
(‘संविधान”—कवि पाश)
संविधान / यह पुस्तक मर चुकी है / इसे मत पढ़ो
इसके लफ़्ज़ों में मौत की ठण्डक है / और एक-एक पन्ना / ज़िन्दगी के अन्तिम पल जैसा भयानक / यह पुस्तक जब बनी थी
तो मैं एक पशु था / सोया हुआ पशु / और जब मैं जागा / तो मेरे इन्सान बनने तक / ये पुस्तक मर चुकी थी / अब अगर इस पुस्तक को पढ़ोगे / तो पशु बन जाओगे / सोए हुए पशु ।
अद्भुत रचना है प्रशांत जी.!. मैंने आपको वोट कर दिया है।(45) आपसे अनुरोध है कि मेरी रचना “कोरोना”को तो हरगिज़ है अब ख़त्म होना” का भी अवलोकन करें और यदि उचित लगे तो अपना अमूल्य मत प्रदान कर अनुग्रहीत करें।
? साभार..!
वाह अति सुन्दर रचना ?
कृप्या मेरी कविता का अवलोकन करके मुझे भी वोट देकर अनुगृहित करें ??
बेहतरीन और प्रशंसनीय प्रस्तुति, मैंने आपको वोट दिया है, कृपया मेरी रचना का भी अवलोकन करें और वोट करे ?
वाह!!
कृपया मेरी कविता का अवलोकन कर एक वोट देने के कृपा करे| मै भी आपकी कविता देखकर वेद दूंगा |
Wah wah superrr ??????
बेहद मार्मिक रचना । मैने आपकी रचना को वोट दिया कृपया आप भी मेरी कविता को अपना वोट देने की कृपा करें।
सुंदर रचना । voted sir .
धन्यवाद