बहुत सुंदर सृजन
बहुत बहुत धन्यवाद!
अतिशय सुन्दर सृजन सर..
बहुत बहुत धन्यवाद!
अति सुंदर रचना है आपकी धन्यवाद
बहुत बहुत धन्यवाद!
बहुत सुंदर
बहुत बहुत धन्यवाद!
अतिसुंदर अभिव्यक्ति !
सत्य वचन ! पितृऋण से सन्तान कभी मुक्त नही हो सकती है।
धन्यवाद !
बहुत बहुत धन्यवाद!
बहुत सुंदर सृजन
बहुत बहुत धन्यवाद!
बहुत सुंदर रचना
बहुत बहुत धन्यवाद!
बहुत ही प्रभावी रचना l बधाईयाँ l
बहुत बहुत धन्यवाद। सादर नमन्!
रोटीयों की जुगत मे रहता है वो.. पिता का कर्ज भरना न आसान..बेहद मार्मिक भाव..
बहुत बहुत धन्यवाद। सादर नमन्!
संवेदनाओ की उच्चतम अभिव्यक्ति। पिता का कर्तव्य महान है,,,पिता घर का अभिमान है ,,बहुत बढ़िया रचना
बहुत बहुत धन्यवाद। सादर नमन्!
अति सुन्दर काव्य रचना
बहुत बहुत धन्यवाद।
पिता के समर्पण भाव की सुंदर और अद्बुत व्याख्या ,धन्यवाद ।
बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुंदर रचना। वाकई पिता का कर्ज भरना आसान नहीं बल्कि नामुमकिन ही है।
बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत ही सुन्दर
सच्चाई बयां करती हुई भावपूर्ण रचना
बहुत बहुत धन्यवाद।
बेहद मार्मिक ,उत्कृष्ट रचना आदरणीय भाई साहब!
वास्तव में पिता का कर्ज भरना आसान नहीं है।
इस प्रतियोगिता में दोनों श्रेणियों में प्रथम स्थान पर आपकी रचना आये ऐसी हमारी शुभकामनाएं हैं।
हार्दिक धन्यवाद!
बहुत बहुत धन्यवाद। सादर अभिवादन!
पिता के दर्द और भाव को आपने बहुत ही सुंदर ढंग से पिरोया है। इसके लिए धन्यवाद।
बहुत बहुत धन्यवाद।
अप्रतिम
बहुत बहुत धन्यवाद।
फर्ज का देवता घर का अभिमान,
बहुत सुंदर पंक्तियाँ, पिता के लिए बहुत ही सुंदर प्रस्तुति
बहुत बहुत धन्यवाद।
बहुत सुंदर भाईसाहब
बहुत बहुत धन्यवाद।
बेहद शानदार सर
बहुत बहुत धन्यवाद!