Nazm
جنتوں کے حسین بدلے میں
مومنوں کی خرید ہوتی ہے
اک صداۓ بلند اٹھتی ہے
یاروں مومن کی عید ہوتی ہے
تخم سرکش ہوا مقابل ہو
لو دیۓ کی مزید ہوتی ہے
اک صداۓ بلند اٹھتی ہے
یاروں مومن کی عید ہوتی ہے
زورو زر کے مقابلے میں جب
ادنی کوشش شہید ہوتی ہے
اک صداۓ بلند اٹھتی ہے
یاروں مومن کی عید ہوتی ہے
بھوکے پیاسے رہے دوانوں میں
چاند کی جب بھی دید ہوتی ہے
اک صداۓ بلند اٹھتی ہے
یاروں مومن کی عید ہوتی ہے
تاقطوں کے نشے میں احمک کی
جب بھی مٹی پلید ہوتی ہے
اک صداۓ بلند اٹھتی ہے
یاروں مومن کی عید ہوتی ہے
جب روایت بدلنے لگتی ہے
نظم رسم جدید ہوتی ہے
اک صداے بلند اٹھتی ہے
یاروں مومن کی عید ہوتی ہے
جب یزیدوں کو کربلا میں شاہ
ہار قصدن رسید ہوتی ہے
اک صداۓ بلند اٹھتی ہے
یاروں مومن کی عید ہوتی ہے
जन्नतों के हसीन बदले में
मोमिनों की ख़रीद होती है
इक सदाए बुलन्द उठती है
यारों मोमिन की ईद होती है
तुख़्म सरक़श हवा मुक़ाबिल हो
लौ दीए की मज़ीद होती है
इक सदाए बुलन्द उठती है
यारों मोमिन की ईद होती है
ज़ोरो ज़र के मुक़ाबिले में जब
अदना कोशिश शहीद होती है
इक सदाए बुलन्द उठती है
यारों मोमिन की ईद होती है
भूखे प्यासे रहे दिवानों में
चान्द की जब भी दीद होती है
इक सदाए बुलन्द उठती है
यारों मोमिन की ईद होती है
ताकतों के नशे में अहमक़ की
जब भी मिट्टी पलीद होती है
इक सदाए बुलन्द उठती है
यारों मोमिन की ईद होती है
जब रवायत बदलने लगती है
नज़्म रस्मे जदीद होती है
इक सदाए बुलन्द उठती है
यारों मोमिन की ईद होती है
जब यज़ीदों को करबला में #शाह
हार क़सदन रसीद होती है
इक सदाए बुलन्द उठती है
यारों मोमिन की ईद होती है
शहाब उद्दीन शाह क़न्नौजी