प्यार का नाम देते रहे जिसे हम अक्सर
मेरी बगल में उनका महान हो गया
पानी के छींटें में भी दम बहुत है
एक बार जब कोई पूर्व पीढ़ी किसी देश की राजनीति,सिनेमा या किसी
जगत कंटक बिच भी अपनी वाह है |
Pt. Brajesh Kumar Nayak / पं बृजेश कुमार नायक
दस्तूर जमाने का निभाया भी नहीं था
मेरी जीत की खबर से ऐसे बिलक रहे हैं ।
खुश होगा आंधकार भी एक दिन,
24/230. *छत्तीसगढ़ी पूर्णिका*
*यदि उसे नजरों से गिराया नहीं होता*