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14 Dec 2024 · 1 min read

My thoughts if glances..!!

My thoughts if glances..!!
यह चांद-तारे-फूल-नज़ारें इनका मुझको शौक नहीं और ना ही इनकी परवाह रखता हूं…
इक तेरे आने से सज जाएगा घर मेरा , आंगन मेरा,मैं तो बस एक तेरी , चाह रखता हूं…
आंखों में पैगाम लिए घूमता हूं,लबों पर इकरार रखता हूं…
ज़ाहिर नहीं होने देता किसी के सामने,ख़ामोश अपना प्यार रखता हूं…
देख कर भी समझ नहीं पाएगा कोई मुझे,ख़ुद पर इतना एतबार रखता हूं…
ख़ुर-ओ-ख़्वाब में सिर्फ तू,बस यार सिर्फ़ इतना इख़्तियार रखता हूं…
फ़िज़ा में भी तू , फ़रहा में भी तू,बरहहाल में भी तू , मुसलसल – ज़ुबां में भी तू
तुझ से ही शुरू होता है दिन मेरा,तू ही फ़जर , तू ही सुन्नत , तू ही ईमान मेरा
तुझ से ही ख़त्म होता है अब शाम,तू ही ईशा , तू ही नफ़्ल , तू ही इहसान मेरा
आ कभी बैठ पास मेरे , ए-हमदम,पढ़ कभी खुदको , मेरे लफ्ज़ों में
राब्ता न सही , गुफ्तगू न सही…कभी तो हो ज़रा रू-ब-रू

देख !..कैसे-कैसे , क्या-क्या लिख देता है तुझे ,
मुजीब तू , मुनासिब तू , वाजिब तू,रहबर तू , दिलबर तू , रहगुज़र तू
जैसे ख़तीब मैं तेरा और सामने तू मेरा हो ख़ुदा हु-ब-हु

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