Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
11 Feb 2022 · 1 min read

My Expressions

Appreciation of art boosts the mural of an artist to put more efforts for achieving excellence to create masterpieces.

Language: English
Tag: Quotation
211 Views
Books from Shyam Sundar Subramanian
View all

You may also like these posts

वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
पलटू चाचा
पलटू चाचा
Aman Kumar Holy
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
हिसाब हुआ जब संपत्ति का मैंने अपने हिस्से में किताबें मांग ल
Lokesh Sharma
प्यार
प्यार
Shriyansh Gupta
वक्त के  आगे जीव की,
वक्त के आगे जीव की,
sushil sarna
तुम गर मुझे चाहती
तुम गर मुझे चाहती
Lekh Raj Chauhan
मूर्ती माँ तू ममता की
मूर्ती माँ तू ममता की
Basant Bhagawan Roy
"अपदस्थ"
Dr. Kishan tandon kranti
यही है हमारी मनोकामना माँ
यही है हमारी मनोकामना माँ
Dr Archana Gupta
गुलाम
गुलाम
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
*रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व*
*रामपुर के गौरवशाली व्यक्तित्व*
Ravi Prakash
हां मैं हस्ता हू पर खुश नहीं
हां मैं हस्ता हू पर खुश नहीं
The_dk_poetry
जागता हूँ मैं दीवाना, यादों के संग तेरे,
जागता हूँ मैं दीवाना, यादों के संग तेरे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
यूँ डरकर मत लौट चलो, इतने करीब आकर।
यूँ डरकर मत लौट चलो, इतने करीब आकर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
58....
58....
sushil yadav
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
क्रिसमस दिन भावे 🥀🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
क्या ईसा भारत आये थे?
क्या ईसा भारत आये थे?
कवि रमेशराज
परिवर्तन आया जीवन में
परिवर्तन आया जीवन में
ललकार भारद्वाज
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
राज वीर शर्मा
भले लोगों के साथ ही बुरा क्यों (लघुकथा)
भले लोगों के साथ ही बुरा क्यों (लघुकथा)
Indu Singh
सपनों की उड़ान
सपनों की उड़ान
कार्तिक नितिन शर्मा
..
..
*प्रणय*
4756.*पूर्णिका*
4756.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
दीपउत्सव
दीपउत्सव
श्रीहर्ष आचार्य
तुम जा चुकी
तुम जा चुकी
Kunal Kanth
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
किताबों में झुके सिर दुनिया में हमेशा ऊठे रहते हैं l
Ranjeet kumar patre
त्राहि त्राहि
त्राहि त्राहि
Dr.Pratibha Prakash
समय लिखेगा कभी किसी दिन तेरा भी इतिहास
समय लिखेगा कभी किसी दिन तेरा भी इतिहास
कुमार अविनाश 'केसर'
जिसे रिश्तों की परवाह नहीं वो,,
जिसे रिश्तों की परवाह नहीं वो,,
पूर्वार्थ
जख्म भी अब मुस्कुराने लगे हैं
जख्म भी अब मुस्कुराने लगे हैं
डॉ. एकान्त नेगी
Loading...