“Multi Personality Disorder”
“Multi Personality Disorder”
कोई अकेला नहीं, साथ में कई लोग रहते हैं,
एक बात करता है, बाकी पीछे छिपे रहते हैं,
आदमी देखकर, आदमी बाहर निकल आता है,
जो बाहर था, वो अंदर चला जाता है,
बाहर भीतर का यही सिलसिला चलता रहता है,
जो पैदा हुआ वो मर जाता है,
उसी शरीर में कई और चेहरे छोड़ जाता है,
खुद से अजनबी दूसरों को जानने का दावा करता है,
आईने के सामने अपने ही तमाम चेहरे भूल जाता है ।।
prAstya…….. (प्रशांत सोलंकी)