Maje me-Gajal
नेताओं के थोथे वायदों ,
पर टिकी सरकार मजे में
बस्ती-बस्ती सुलग रही है,
आज का अखबार मज़े में।
नेता की बातों में जादू,
हर गली बाजार मज़े में।
धर्म का चोला ओढ़े हैं वो,
मायावी संसार मज़े में।
डंडा लेकर खड़ा है पहरा,
डर से सब स्वीकार मज़े में।
कोर्ट कचहरी के चक्कर,
कटती जिंदगी बेकार मज़े में।
थाने की कुर्सी पर भारी,
बैठा हवलदार मज़े में।
कानून की किताबें बिक गयी ,
न्याय के खरीद दार मज़े में।
रिश्वत की जड़ें है गहरी,
बहरा अफसर दार मज़े में।
बलात्कारी को मिली है माफी,
बेबस पर अत्याचार मज़े में।
भेडिये ही अब करेंगे राज ,
‘असीमित’ ये खुमार मजे में ।
रचनाकार -डॉ मुकेश असीमित
Mail ID -drmukeshaseemit@gmail.com