Lekh- 3
चालकी दिखा – दिखा करके आपने कितना कुछ हासिल कर लिया है। प्राप्त कर लिया है या इक्कट्ठा कर लिया है। मैं देखना चाहता हूँ।जवाब क्या होता है आपका ? मैं जानना चाहता हूँ।
जीवन के इस समय में आपके पास क्या है? इतने समय में आपने क्या हासिल किया। जो आप दूसरों को दिखा सके या बता सके। जो आपका अपना हो ना कि किसी से उधार लिया हुआ हो । कही से काॅफी किया ना हो । कही से पढा ना हो । ऐसा कुछ है क्या आपके पास नही ना ।
धन -दौलत ऐशो -आराम की वस्तुऐ , एक परिवार, छोटा या बडा , कुछ प्रसंसक सहयोगी और कुछ ईषा करने वाले लोग ये सब देखकर जलने वाले लोग भी हो सकते है। मैंने ये कहा – बस इतना ही ,बस ये ही है आपके पास । लोग कहते है जिन्दगी जीने के लिये ये ही सब चाहिये। ये ही सब जवाब होते है बहुत से लोगो के …
कुछ लोग यह भी कहते है – जो आपने पास वो आपना है। आपके पास तो पुरी दुनिया है पुरा ब्रह्माण्ड है। फिर तो यह पुरा ब्रह्माण्ड आपका हुआ और जो आपके साथ है उनका क्या, उनका कुछ भी नही, नही उनका भी है। जो मेरा है । वो उनका है। फिर पुरा ब्रह्माण्ड आपका कैसे हुआ?
सामाजिक डोर एक दूसरे से ऐसे बधी रहती है। घुम फिर कर फिर वही आ जाती है। यह हमेशा एक दूसरे को बाँधे रखती है। एक व्यू में घूमती रहती है। जो इंसान को खीचे रखती है। निकलने नही देती है। जो निकल सकता है। वो भी नही निकल सकता है।
मैं अकेला जाऊगा कहा – कोई रास्ता भी तो नही है। अब कोई दूसरा रास्ता खोजना पडेगा। और रास्ता मिल भी जाये – आगे पता नही क्या होगा। मंजिल मिले ना मिले तो कौन इन झंझटों मे बडे इससे तो ऐसे ही ठीक है। इसलिये इंसान समाजिक बन्धनों मे ही घिरा रह जाता है।
हम हमेशा एक साथ चलने की कोशिश कर रहे होते है। चलना तो हमे फिर भी खुद ही होता है। …