Krishna leela
कृष्ण लीला
रात अंधेरी सो गऐ प्रहरी, हुई गर्जना आकाश में,
भादव मास की पुण्य प्रबल तिथि रोहिणी नछत्र मे,
जन्म लिया मथुरा की जेल मे,नारायण श्रीहरि भगवान ने!
यमुना जी ने चरण पखारे ,पहुँचे नंद जी गाँव मे,
मनमोहक लीला रचते, मुरलीधर लीला त्रिपुरारी ,
गाय चराते मुरली बजाते,कहीं कदंब की छाँव में !
रूप छबीला नैन हैं काले ,माँ जसोदा की आँखों के तारे,
रास रचाते राधा जी के संग, महका वृंदावन का धाम है ,
मटकी फोड़ माखन को चुराते , माखनचोर कृष्ण कन्हैया नाम है!
बचपन मे ही किए खेल निराले ,जाने कितने तूने तर डाले,
कालिया का कर मर्दन ,यमुना को विषमुक्त किया,
अंत किया सबके कष्टों का, कुबड़ी दासी को नया रूप दिया!
अंत किया पापों के कंस का ,मथुरा नगरी का उद्धार किया,
मथुरा नगरी हुई पापमुक्त , माता- पिता को कारागार से मुक्त किया,
बनी द्वारिका उनकी नगरी ,द्वारिका धाम का नाम दिया !!
दोस्ती और प्रेम सुधा बरसा कर ,प्रेम मे तप का बखान किया,
पाना सिर्फ नहीं प्रेम जीवन मे, त्याग और समर्पण का भाव दिया,
राधा कृष्ण प्रेम के साथी , कृष्ण सुदामा की दोस्ती पर सबने अभिमान किया!
धर्म युद्ध की हुई लड़ाई , कुरुछेत्र के मैदान में ,
कौरव- पांडव आमने -सामने ,हर रिश्ता लगा दांव में,
फिर कृष्ण ने अर्जुन को गीता सार दिया,
लोगों को अपने जीवन मे, भागवत गीत का ज्ञान मिला !!
नमो नमो उन प्रभु चरणों मे, पाप हमारे हर लेना,
पाप, द्वेष रोग ,शोक, मिटाकर ,मन मे शांति भर देना,
सदा करें तेरे मोहिनी रूप के दर्शन ,ऐसी भक्ति भर देना !!
ॐ श्री कृष्ण वासुदेवाय नमः
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