ख्वाब रंगीला कोई बुना ही नहीं ।
ख्वाब रंगीला कोई बुना ही नहीं ।
प्यार में उनके कोई वफ़ा ही नहीं।
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जिंदगी में उजाला तुम ही से तो था ।
अब अंधेरा है कोई ज़िया ही नहीं।
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वायदा साथ चलने का तेरा भी था।
साथ मंज़िल तक तुमने दिया ही नहीं।
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रुठ जाओ मनाने का मौका तो दो।
मुझको मालूम अपनी ख़ता ही नहीं।
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“सगी़र” इश्क़ का दर्द बतलाएं क्या।
ऐसी बीमारी जिसकी दवा ही नहीं।
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डॉक्टर सगीर अहमद सिद्दीकी
खैरा बाजार बहराइच