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27 Nov 2017 · 1 min read

मेरे गीतों को अधरों से जब भी तुम गाती होगी

मेरे गीतों को अधरों से जब भी तुम गाती होगी !
सच बोलो न तुमको मेरी याद बहुत आती होगी !!

तुम्हे याद है जब हम तुमसे,
शाम को मिलने आते थे !
खुशी खुशी तुम हँसकर मेरे,
सीने से लग जाते थे !!

कंगन,चूड़ी, पायल,बिंदी,
सूट नये दिलवाते थे !
पानीपूरी, चाट, समोसा,
हम दोनों फिर खाते थे !!

जब घर से बाजार प्रिये तुम,
सजधज कर जाती होगी !
सच बोलो न तुमको मेरी याद बहुत आती होगी !!

मैं अपने स्मृतियों को ही,
गीत बनाकर गाता हूँ !
मंदिर,मस्जिद,गुरुद्वारों के,
आगे शीश झुकाता हूँ !!

बिना बुलाये कभी न जाता,
कवियों की दरबारों में !
छप जाते हैं गीत हमारे ,
कभी कभी अखबारों में !!

अँजुरी भर शब्दों को मेरे,
जब भी तुम पढ़ती होगी !
सच बोलो न तुमको मेरी याद बहुत आती होगी !!

कवि आशीष तिवारी जुगनू इंदौर 8871887126

Language: Hindi
410 Views
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