kab miloge piya – Desert Fellow Rakesh Yadav ( कब मिलोगे पिया )
अनजान राहों में बसा है यह इंतजार,
कब मिलोगे पिया, ये है मेरा प्यार।
सूरज की किरणों के साथ ढलती है रात,
धीरे-धीरे चलती है जब यह वक्त की बरात।
क्या बताऊं तुम्हें, मेरे प्रिय,
बिना तुम्हारे कैसे बिताऊं ये जीवन की रात।
आँखों की पालकों के जादू से ढंकी है यह दुनिया,
पिया की धुन में डूबी है हर मैहफिल की रात।
तेरे अभाव में दिल का कोना-कोना,
कब मिलोगे पिया,
क्या ये कोई दिव्य संकेत का होना?
मनों जैसे गर्मी की तपस में जलती है धूप,
मन की गहराइयों में है सत्यपूर्ण झूठ।
कब तक इंतजार करूं, यह मेरा सवाल,
अंधियारे रास्तों पर बनाऊं कौन से इंतजार का ख्याल?
मेरे दिल की धड़कन,
तेरी ही आवाज़,
कब मिलोगे पिया?
Desert fellow – Rakesh Yadav