सभी को सभी अपनी तरह लगते है
किये वादे सभी टूटे नज़र कैसे मिलाऊँ मैं
यूँ धीरे-धीरे दूर सब होते चले गये।
*मनः संवाद----*
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
कितनी राहें
देवेंद्र प्रताप वर्मा 'विनीत'
चौखट पर जलता दिया और यामिनी, अपलक निहार रहे हैं
अगर मन वचन और कर्मों में मर्यादा न हो तो
*धक्का-मुक्की हो रही, संसद का यों चित्र (कुंडलिया)*
बगल में कुर्सी और सामने चाय का प्याला
आपने जो इतने जख्म दिए हमको,
- तुम कर सकते थे पर तुमने ऐसा किया नही -