जय श्री राम
जय श्री राम
——————————-
जब जब पृथ्वी पर
हुआ अनाचार अत्याचार
अंतिम परिणति में प्रकट
प्रभु का एक नया अवतार
दशावतारों की श्रृंखला है प्रभु विष्णु
पावर फुल अस्त्रों में भी है वो सहिष्णु ।
क्या तुम इसको गह पाओगे
हा हा हा छोड़ो, माया में बह जाओगे
वो ज्वाला है सूर्य की
वो शीतलता चंद्र की
वो रौद्र है , वो कोमल।है
वचनबद्ध, अजिंक्य अटल है।
असुरों का संहारक वो
दलितों का निस्तारक वो
कोमल काया में अतुलित भुजबल है
नव युग का संचारक वो ।
ध्वंस तुम्हारा निश्चित है
हे असुर दुष्ट दानव कुल
आ गए है इस धरा पर
रघुवंश के अंश श्री रघुकुल
अब होना है प्रभु से मेल
अब खेलेंगे सनातन खेल ।
आत्म और परम आत्म का
मिलन कैसे कब होता है
जब आत्म स्वयं को समर्पित कर
परम चरणों में रख देता है
अज्ञानी, अहंकार से ग्रसित
विशाल रूप, सूक्ष्म बुद्धि वाले
या तो परम ने विलीन हो जाओ
या मृत्यु वरण करने तैयार तुम हो जाओ ।
कितने आए और गये तुम जैसे
कुटिल प्रयास आजन्म किए
स्वयं से पूछो कैसे कैसे
आ गई है अब तुम सबकी बारी
कर लो तुम जैसे भी चाहो ,
शक्ति, कुटिलता प्रदर्शन सारी
सब हथकंडों का कर लो झंजेल
अब खेलेंगे सनातन खेल ।
वह नैसर्गिक है आलौकिक है
प्रचंड वेग प्रवाह है वो
भू व्योम पाताल के सम
अनहद , विस्तृत, अथाह है वो
तेरी शक्ति तेरा अहंकार
भस्म होगा, बस एक धनु टंकार
लेफ्ट, राइट , सेंटर तुम
आए किसको फुसलाने तुम
कौनसे नए शब्द परिभाषा
सिखलाने अब आए हो तुम ।
संघर्ष करना सीखों अपना
अपनी लकीर खीचना सीखों
कहां अल्प और पूर्ण विराम
जीवन में अपनाना सीखों
संघर्ष, मर्यादा, विस्तृत अभिराम
भावनाओं में बसते श्री राम
आदि शंकर , ब्रह्मा के इष्ट
हर युग में अवतरित राम।
चाहे माधव या राघव
युगानुसार बदला नाम
एक लक्ष्य, एक धर्म प्रण
जनमानस सुख अंतर्मन
एक दिशा है निश्चित
फिर कैसा, क्यों रैलमपेल ?
अब खेलेंगे सनातन खेल ।
रचयिता
शेखर देशमुख
J-1104, अंतरिक्ष गोल्फ व्यू -2
सेक्टर 78, नोएडा (उ प्र