Intezar nahi karte,
इंतजार नहीं करते- कोमल काव्या
ये सोच के सोचअ है अब इंतजार नहीं करते
ज़िंदगी को ज़िंदगी के वास्ते बेकार नहीं करते ।
ये तमन्नाओ का ताज महल नींद खुलते ही ढह जाएगा
जमीनों मे पैर जमाने की फिक्र हकदार नहीं करते ।
कब पासा पलट जाए ये तो फरिश्तों को भी नहीं मालूम
आखरी वक्त तक लदनें वाले हार स्वीकार नहीं करते ।
गर वो शर्त न लगाता तुम्हें छीन ले जाने की
तो हम भी दिखावे का शायद कारोबार नहीं करते ।
एक तेरे होकर के जाना हम कहीं के न रहे
उस पे भी ये गीला की हम प्यार नहीं करते ।
जो खेल रहें हैं दिलों से दिल की कीमत को लगा
क्यूँ उन सौदागरों के लिए फतवा तैयार नहीं करते ।
मेरी खामोश मुस्कुराहट मे तूफान की आहत है
अलविदाएगी की बेला मे बातें समझदार नहीं करते ।
रंग मौसम खुशवउ हवा बारिश घटा
जो एक साथ न होते तो हम भी इश्क पर आइतबार नहीं करते ।
तुम मेरी कहानी का आखरी किरदार तो नहीं पागल
झूठे वादों पर भरोसा कोमल हर बार नहीं करते ।
ये सोच के सोचअ है अब इंतजार नहीं करते ।